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Monday, 11 November 2024

अक्टूबर माह (1 से 15 तक) की पशुपालन संबंधी अनुशंसा

  • पशुओं में खुर पका मुँह पका बीमारी से बचाने हेतु टीके लगवायें ।
  • दुधारू पशुओं को उचित मात्रा में पौष्टिक हरा चारा बरसीम 20 से 25 किलोग्राम प्रतिदिन खिलायें ।
  • पशुओं में खुरपका मुँहपका बीमारी से बचाने हेतु टीके लगवायें ।
  • भैंसों के नवजात पड़े एवं पड़ियों में अंत परजीवी नाशक दवा पिपराज़िन  30 मिलीलीटर 1 महीने के अंतराल पर 3 महीने तक दें ।
  • नवजात बछड़े/  बछिया एवं पड़े / पडियों के जन्म से 3 दिन तक शरीर के भार का 10% खींज  प्रतिदिन पिलायें ।  खींज पिलाने से नवजात बच्चों में रोगों से लड़ने की शक्ति आती है ।
  • गेहूँ के सूखे भूसे की गुणवत्ता बढ़ाने के लिये उसे यूरिया द्वारा उपचारित करें.  इसके लिये पहले 4 किलोग्राम यूरिया को 60 लीटर पानी में घोल लें तथा साफ,   पक्के अथवा गोबर से लिपाई किये  हुये  समतल ज़मीन पर समान रूप से 4 से 6 इंच की भूसे की परत  फैलायें अब यूरिया के घोल की आधी मात्रा इस पर  छिडकें  तथा पाँचा या दाँताली द्वारा भूसे को बार-बार पलट दें ।  इसके पश्चात् शेष भूसे  को भी यूरिया मिश्रित भूसे पर  छिड़कें । इस उपचारित भूसे को अच्छी तरह से दबा दें तथा एक प्लास्टिक की चादर से अच्छी तरह ढक दें जिससे हवा अंदर ना जा सके । तीन सप्ताह बाद भूसे का रंग सुनहरा हो जायेगा जिसे जानवरों को खिलाने से एक तिहाई संतुलित आहार की मात्रा कम की जा सकती है ।
  • ब्याने के 2 महीने पश्चात गाय एवं भैंसों को प्राकृतिक अथवा कृतिम  गर्भाधान द्वारा गर्भित करायें  तत्पश्चात उचित समय पर गर्भ परीक्षण करायें ।
  •  पशुओं को हरे चारे की उपलब्धता सुनिश्चित करने हेतु खेतों में बरसीम की किस्म  जवाहर बरसीम -किस्म बोयें  तथा 10 से 15 दिन के नियमित अंतराल पर इसकी सिंचाई करें ।
  • आज़ोला उत्पादन तकनीकी सीख कर पशुओं के आहार में आज़ोला शामिल करें और पशु आहार की गुणवत्ता बढ़ायें ।
  • हरे चारे की अधिकता की स्थिति में ’’साईलेज’’ बनायें ।                            

 

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