· बैंगन में तना एवं फल वेधन कीट के लिये
एमामेक्टिन वेन्जोएट 5 एस.जी. 5 ग्राम प्रति 15 लीटर पानी मे मिलाकर छिड़काव करें ।
- फूल एवं पत्ता गोभी में डी.बी.एम. से
बचाव हेतु 11 लाइन गोभी के बाद एक
लाइन चीनी पत्तागोभी की भी लगायें ।
- टमाटर में फली वेधक कीट मे प्रबंधन
के किए 14 लाइन टमाटर 25 दिन की नर्सरी के बाद 2 लाइन गेंदे
भी 45 दिन की नर्सरी रोपाई करें ।
- लहसुन की किस्म जी -282 और जी-323 का
चयन करें ।
- आलू की कुफरी ज्योती, कुफरी लालिमा , चिपसोना
और कुफरी बादशाह प्रजातियों का चयन करें ।
- टमाटर की अर्का रक्षक किस्म का चयन करें ।
- नये लगाये पौधौ के चारों ओर थाला
बनाकर हल्की सिंचाई करें तथा फल वृक्षों की गुड़ाई करें ।
- पुराने पौधौं को उचित आकार देने के लिये
शाखओं की कटाई छटाई करें ।
- लहसुन की उन्नतशील प्रजाति जी-282 की बोनी करें तथा 50 किलो सल्फर / हेक्टेयर डालें ।
- सब्ज़ियों में रस चूसने वाले कीट एवं इससे फैलने वाले
पीला रोग के प्रबन्धनके लिये थायोमैथोम्ज़ाम 30 एफ.एस. की 10 मिली/किग्रा. बीज या इमिडाक्लोप्रिड 48% एफ. एस. की 1.25 मिली/किग्रा. बीज को
उपचारित करें ।
- बैगन में तना एवं फल बेधक कीट एवं
टमाटर में फलबेधक कीट के प्रबन्धन के लिये जैव-कीटनाशी बी. टी. की 1000 ग्राम मात्रा/हेक्टेयर छिड़काव करें ।
- पर्णकुचंन बीमारी जो टमाटर एवं मिर्च
में ज़्यादा होती है , की
रोकथाम के लिये पौधशाला को एग्रोनेट से ढक कर रखें और रोपाई के समय
इमिडाक्लोप्रिड 17.8% एस. एल. की 1 मिली मात्रा , 2 ली. पानी में मिलाकर रोपाई के 1 घंटे
पूर्व जड़ शोधन करें ।
- सब्ज़ियों में शुरू की अवस्था में नीम
तेल (1500 पी.पी.एम.) की 50-60 मिली प्रति 15 लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव
करें ।
- फलों में लगने वाले कीटों के
प्रबन्धन के लिये थायोमेथाक्जाम + लैम्बडासायहैलोथ्रिन की मिश्रित दवा 10 मिली प्रति 15 लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें ।
- सब्ज़ी की रोपणी तैयार करने के लिये सतह से लगभग 6 से 9 इंच ऊँची (रेज्ड बेड) भूमि का सोलराइज़ेशन, पन्नी से ढक कर करें । सब्ज़ियों के खेत में जल निकास की उचित व्यवस्था
करें ।
- आम और अमरूद के नवीन रोपित पौधों की सुरक्षा का उचित प्रबंध करें ।
- फलों के पौधों में खाद एवं उर्वरकों
की मात्रा पौधों की उम्र के अनुसार डालें ।
- टमाटर, बैगन, मिर्च एवं अगेती फूल गोभी की पौध की
खेत में रोपाई कर हल्की सी सिंचाई करें। खेत में रोपाई के पूर्व 30 किलो डी. ए. पी.+ 20 किलो युरिया
प्रति एकड़ की दर से दें ।
- टमाटर, बैगन, मिर्च, पत्ता
गोभी, फूलगोभी की रोपणी तैयार करें ।
- खेत में प्रारभिंक उर्वरक डाल कर, थाला बनाकर कद्दू वर्गीय सब्ज़ियों की बुवाई करें
।
- पपीते की खेती हेतु ’’रेड लेडी’’, “ताईवान-786” या ’’पूसा नन्हा’’ किस्म की रोपणी डालें ।
- पपीते में मिली बग का प्रकोप दिखायी
देने पर थायोमिथॉक्ज़ाम + लेम्ब्डासायलोथ्रिन १० मिली लीटर मात्रा प्रति १५
लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें ।
- नींबू की फसल में काटने और चूसने
वाले कीट की रोकथाम के लिये प्रोपेनोफ़ॉस + सायपरमैथ्रिन की मिश्रित दवा की २५ मिलि मात्रा प्रति १५
लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें ।
- ताज़े , पके करौंदे के फल से बीज निकालकर नर्सरी में तुरंत बोनी करें ।
- बेर में फल छेदक कीट की रोकथाम करें ।
- अमरूद में शेष नत्रजन की मात्रा दें ।
- सब्ज़ियों में खरपतवार निकाले एवं उर्वरक देकर सिंचाई
करें ।
- आलू, मूली, गाजर, मेथी, पालक, धनिया, लहसुन, प्याज़ इत्यादि की बोनी करें।
आलू के खेत में बोनी के पूर्व खेत में 200 किलो
डी. ए. पी.+ 50 किलो म्युरेट ओफ पोटाश प्रति एकड़
की दर से आधार मात्रा के रूप में डालें. लहसुन की बोनी के पहले 100 किलो डी. ए. पी प्रति एकड़ की दर से
आधार मात्रा के रूप में डालें ।
- फलों में फल मक्खी का प्रकोप होने पर एमामैक्टिन बेंज़ोयेट 5 एस. जी. की 5 ग्राम मात्रा प्रति 15 लीटर पानी में
डाल कर छिड़काव करें ।
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