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Tuesday, 12 November 2024

रबी फसलों हेतु खरपवारनाशक की अनुशंसायें

 रबी फसलों में खरपतवार के नियंत्रण हेतु अनुशंसित खरपतवारनाशक निम्नानुसार हैं:

क्र.

फसल का नाम

अंकुरण पूर्व उपयोग में आने वाले खरपतवारनाशक

अंकुरण पशचात् उपयोग में आने वाले खरपतवारनाशक

1.       

चना

पैन्डीमिथिलिन नामक खरपतवारनाशक को बोनी के  0 से 3 दिन उपरांत उपयोग करें. इस दवा की एक लीटर (1 लीटर) मात्रा को 200 लीटर पानी में घोल कर [13 से 14 पम्प (पन्द्रह लीटर क्षमता का छिड़काव पम्प)] प्रति एकड़ की दर से छिड़काव करें .

टोपरामेज़ॉन नामक खरपतवारनाशक को बोनी के 30 दिन के उपरांत 15 मिलीलीटर मात्रा को 200 लीटर पानी में घोल कर [13 से 14 पम्प (पन्द्रह लीटर क्षमता का छिड़काव पम्प)] प्रति एकड़ की दर से छिड़काव करें .

2.       

मसूर

पैन्डीमिथिलिन (बाकी जानकारी ऊपर की तरह).

टोपरामेज़ॉन (बाकी जानकारी ऊपर की तरह).

3.       

मटर

पैन्डीमिथिलिन (बाकी जानकारी ऊपर की तरह).

टोपरामेज़ॉन (बाकी जानकारी ऊपर की तरह).

4.       

गेहूँ

पैन्डीमिथिलिन (बाकी जानकारी ऊपर की तरह).

क्लोडिनोफॉप प्रोपाईल + मैट्सल्फ्युरॉन मिथाईल की संयुक्त खरपतवारनाशक दवा की 160 ग्राम मात्रा को  200 लीटर पानी में घोल कर [13 से 14 पम्प (पन्द्रह लीटर क्षमता का छिड़काव पम्प)] प्रति एकड़ की दर से छिड़काव करें.

5.       

सरसों

पैन्डीमिथिलिन (बाकी जानकारी ऊपर की तरह).

किसी भी खरपतवार के उपयोग की अनुशंसा अंकुरणपूर्व उपयोग की नहीं है.

 उपरोक्त अनुशंसायें डॉ. बृजेश कुमार तिवारी तथा डॉ. स्मिता सिंह मैडम की हैं.

सादर,

Monday, 11 November 2024

अक्टूबर माह (1 से 15 तक) की पशुपालन संबंधी अनुशंसा

  • पशुओं में खुर पका मुँह पका बीमारी से बचाने हेतु टीके लगवायें ।
  • दुधारू पशुओं को उचित मात्रा में पौष्टिक हरा चारा बरसीम 20 से 25 किलोग्राम प्रतिदिन खिलायें ।
  • पशुओं में खुरपका मुँहपका बीमारी से बचाने हेतु टीके लगवायें ।
  • भैंसों के नवजात पड़े एवं पड़ियों में अंत परजीवी नाशक दवा पिपराज़िन  30 मिलीलीटर 1 महीने के अंतराल पर 3 महीने तक दें ।
  • नवजात बछड़े/  बछिया एवं पड़े / पडियों के जन्म से 3 दिन तक शरीर के भार का 10% खींज  प्रतिदिन पिलायें ।  खींज पिलाने से नवजात बच्चों में रोगों से लड़ने की शक्ति आती है ।
  • गेहूँ के सूखे भूसे की गुणवत्ता बढ़ाने के लिये उसे यूरिया द्वारा उपचारित करें.  इसके लिये पहले 4 किलोग्राम यूरिया को 60 लीटर पानी में घोल लें तथा साफ,   पक्के अथवा गोबर से लिपाई किये  हुये  समतल ज़मीन पर समान रूप से 4 से 6 इंच की भूसे की परत  फैलायें अब यूरिया के घोल की आधी मात्रा इस पर  छिडकें  तथा पाँचा या दाँताली द्वारा भूसे को बार-बार पलट दें ।  इसके पश्चात् शेष भूसे  को भी यूरिया मिश्रित भूसे पर  छिड़कें । इस उपचारित भूसे को अच्छी तरह से दबा दें तथा एक प्लास्टिक की चादर से अच्छी तरह ढक दें जिससे हवा अंदर ना जा सके । तीन सप्ताह बाद भूसे का रंग सुनहरा हो जायेगा जिसे जानवरों को खिलाने से एक तिहाई संतुलित आहार की मात्रा कम की जा सकती है ।
  • ब्याने के 2 महीने पश्चात गाय एवं भैंसों को प्राकृतिक अथवा कृतिम  गर्भाधान द्वारा गर्भित करायें  तत्पश्चात उचित समय पर गर्भ परीक्षण करायें ।
  •  पशुओं को हरे चारे की उपलब्धता सुनिश्चित करने हेतु खेतों में बरसीम की किस्म  जवाहर बरसीम -किस्म बोयें  तथा 10 से 15 दिन के नियमित अंतराल पर इसकी सिंचाई करें ।
  • आज़ोला उत्पादन तकनीकी सीख कर पशुओं के आहार में आज़ोला शामिल करें और पशु आहार की गुणवत्ता बढ़ायें ।
  • हरे चारे की अधिकता की स्थिति में ’’साईलेज’’ बनायें ।                            

 

अक्टूबर (1 से 15 तक ) की उद्यानिकी फसलों की अनुशंसा

·     बैंगन में तना एवं फल वेधन कीट के लिये एमामेक्टिन वेन्जोएट 5 एस.जी. 5 ग्राम प्रति 15 लीटर पानी मे मिलाकर छिड़काव    करें ।

  • फूल एवं पत्ता गोभी में डी.बी.एम. से बचाव हेतु 11 लाइन गोभी के बाद एक लाइन चीनी पत्तागोभी की भी लगायें   
  • टमाटर में फली वेधक कीट मे प्रबंधन के किए 14 लाइन टमाटर 25 दिन की नर्सरी के बाद 2 लाइन गेंदे भी 45 दिन की नर्सरी रोपाई करें ।
  • लहसुन की किस्म जी -282  और जी-323 का चयन करें ।
  • आलू की कुफरी ज्योतीकुफरी लालिमा , चिपसोना और कुफरी बादशाह प्रजातियों का चयन करें ।
  • टमाटर की अर्का रक्षक किस्म का  चयन करें ।
  • नये लगाये पौधौ के चारों ओर थाला बनाकर हल्की सिंचाई करें तथा फल वृक्षों की गुड़ाई करें ।
  • पुराने पौधौं को उचित आकार देने के लिये शाखओं की कटाई छटाई करें ।
  • लहसुन की उन्नतशील प्रजाति जी-282 की बोनी करें तथा 50 किलो सल्फर / हेक्टेयर डालें ।
  • सब्ज़ियों    में रस चूसने वाले कीट एवं इससे फैलने वाले पीला रोग के प्रबन्धनके लिये थायोमैथोम्ज़ाम 30  एफ.एस. की 10 मिली/किग्रा. बीज या इमिडाक्लोप्रिड 48%  एफ. एस. की 1.25 मिली/किग्रा. बीज को उपचारित करें ।
  • बैगन में तना एवं फल बेधक कीट एवं टमाटर में फलबेधक कीट के प्रबन्धन के लिये जैव-कीटनाशी बी. टी. की 1000 ग्राम मात्रा/हेक्टेयर छिड़काव करें ।
  • पर्णकुचंन बीमारी जो टमाटर एवं मिर्च में ज़्यादा होती है , की रोकथाम के लिये पौधशाला को एग्रोनेट से ढक कर रखें और रोपाई के समय इमिडाक्लोप्रिड 17.8% एस. एल. की 1 मिली  मात्रा , 2 ली. पानी में मिलाकर रोपाई के 1 घंटे पूर्व जड़ शोधन करें ।
  • सब्ज़ियों में शुरू की अवस्था में नीम तेल (1500 पी.पी.एम.की  50-60 मिली प्रति 15 लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव   करें ।
  • फलों में लगने वाले कीटों के प्रबन्धन के लिये थायोमेथाक्जाम + लैम्बडासायहैलोथ्रिन की मिश्रित दवा 10 मिली प्रति 15 लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें ।
  • सब्ज़ी  की रोपणी  तैयार करने के लिये सतह से लगभग 6 से 9 इंच ऊँची (रेज्ड बेड) भूमि का सोलराइज़ेशनपन्नी से ढक कर करें ।  सब्ज़ियों   के खेत में जल निकास की उचित व्यवस्था करें ।
  • आम और अमरूद के नवीन रोपित पौधों की  सुरक्षा का उचित प्रबंध करें ।   
  • फलों के पौधों में खाद एवं उर्वरकों की मात्रा पौधों की उम्र के अनुसार डालें । 
  • टमाटरबैगनमिर्च एवं अगेती फूल गोभी की पौध की खेत में रोपाई कर हल्की सी सिंचाई करें। खेत में रोपाई के पूर्व 30 किलो डी. ए. पी.+ 20 किलो युरिया प्रति एकड़  की दर से दें । 
  • टमाटरबैगनमिर्चपत्ता गोभीफूलगोभी की रोपणी तैयार करें ।
  • खेत में प्रारभिंक उर्वरक डाल करथाला बनाकर कद्दू वर्गीय सब्ज़ियों की बुवाई करें ।
  • पपीते की खेती हेतु ’’रेड लेडी’’, “ताईवान-786”  या ’’पूसा नन्हा’’ किस्म की रोपणी डालें ।
  • पपीते में मिली बग का प्रकोप दिखायी देने पर थायोमिथॉक्ज़ाम + लेम्ब्डासायलोथ्रिन १० मिली लीटर मात्रा प्रति १५ लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें ।
  • नींबू की फसल में काटने और चूसने वाले कीट की रोकथाम के लिये प्रोपेनोफ़ॉस + सायपरमैथ्रिन की  मिश्रित दवा की २५ मिलि मात्रा प्रति १५ लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव   करें ।
  • ताज़े पके करौंदे के फल से बीज निकालकर नर्सरी में तुरंत बोनी करें ।
  • बेर में फल छेदक कीट की रोकथाम करें ।
  • अमरूद में शेष नत्रजन की मात्रा दें ।
  • सब्ज़ियों    में खरपतवार निकाले एवं उर्वरक देकर सिंचाई करें ।
  • आलूमूलीगाजरमेथीपालकधनियालहसुनप्याज़  इत्यादि की बोनी करें। आलू के खेत में बोनी के पूर्व खेत में 200 किलो डी. ए. पी.+ 50 किलो म्युरेट ओफ पोटाश प्रति एकड़ की दर से आधार मात्रा के रूप में डालें. लहसुन की बोनी के पहले 100 किलो डी. ए. पी  प्रति एकड़ की दर से आधार मात्रा के रूप में डालें ।
  • फलों में फल मक्खी का प्रकोप होने पर एमामैक्टिन बेंज़ोयेट 5 एस. जी. की 5 ग्राम मात्रा प्रति 15 लीटर पानी में डाल कर छिड़काव करें ।

अक्टूबर माह (1 से 15 ) में गृहणियों तथा महिला कृषको के लिये अनुशंसा

गृहिणियों एवं महिला कृषकों हेतु अनुशंसा इस प्रकार है :

  • रबी फसलों हेतु घर के बने बीज की ग्रडिंग एवं साफ सफाई करें फिर अंकुरण परीक्षण करें. 75 % से कम अंकुरण आने पर बीज बदल दें.
  • घर के आसपास की भूमि पर गृहवाटिका में परिवार के सदस्यों हेतु जैविक ढंग से पौष्टिक सब्जी-भाजी जैसे लौकीतोरईभिण्डीबैंगनसेमटमाटर आदि बोयें । इनमें रसायनों का उपयोग कतई न करें।
  • कृषक समूह / कृषक महिला समूह बनायें । सामूहिक भावना से कार्य करें और समूहों को प्राप्त होने वाले लाभ लें।
  • उपयोग के बाद समस्त कृषि यंत्रों की सफाई करेंआयलिंग करें एवं ग्रीस लगायें ताकि जंग लगने से सुरक्षा कर सकें ।
  • नीम की पत्ती तथा निबौली उबालें तथा ठण्डा होने पर मसल कर छानें । छानकर निकाले हुए प्रति लीटर रस में छोटी चम्मच डिटर्जेन्ट पाऊडर मिलाकर सब्ज़ियों  पर प्रति सप्ताह छिड़काव करें जिससे पौध सुरक्षा सुंश्चित हो  
  • कद्दूवर्गीय सब्ज़ियों में लाल कीड़े का प्रकोप होने पर चूल्हे की ठंडी राख का भुरकाव करें ।
  • भोजन में अधिकाधिक रंग की सब्ज़ियों को शामिल करें । भोजन में जितनी अधिक रंग की साग सब्जियाँ होंगी भोजन उतना ही अधिक पौष्टिक होगा ।
  • कतारों में बोई गई सब्ज़ियों में साईकिल कुल्पा (हैण्ड व्हील हो) द्वारा निंदाई - गुड़ाई करें अथवा मिट्टी चढ़ायें ताकि शारीरिक श्रम में कमी आये तथा समय की बचत हो । कुल्पे के उपयोग से पौधे का विकास बेहतर होता है एवं उपज में वृद्धि होती है । इस यंत्र पर 50 प्रतिशत अनुदान पाने हेतु अपने क्षेत्र के ग्राम सेवक से अपना प्रकरण बनवायें ।
  • रबी फसलों हेतु घर के बीज की ग्रेडिंग व साफ-सफाई कर अंकुरण परीक्षण करें तथा अपना बीज स्वयं बनायें ।
  • बचत करें एवं अपनी बचत को बैंकों या पोस्ट आफिस में रखें ताकि उचित ब्याज प्राप्त होता रहे ।
  • फसलों पर उपयोग किये जाने वाले रसायनों को बच्चों की पहुँच से दूर रखें ।

अक्टूबर माह (1 से 15 ) हेतु दलहन की अनुशंसा

 मूँगउड़दअरहर 

  • जल निकास का समुचित प्रबंधन करें। जहाँ उड़द में 70-80 प्रतिशत फलियाँ पक गई हों वहाँ  समय रहते कटाई करें.  मूँग में जब फलियाँ हरे से काले रंग की होने लगें तब उनकी तुड़ाई करायें. दो से तीन बार में पर्याप्त तुड़ाई के बाद हरी खाद बनाने के लिये अपशिष्ट को ट्रैक्टर की सहायता से खेत में मिला दें. 
  • अरहर में पत्ती लपेटक कीट के  नियंत्रण के लिये इंडॉक्साकार्ब 15.8% ई.सी. की 15 मिली मात्रा प्रति 15 लीटर पानी में मिलाकर छिडकाव करें.  

अक्टूबर माह (1 से 15 ) हेतु रबी के मौसम की तैयारी और फ़सलों की उन्नतशील प्रजातियों संबंधी अनुशंसा

रबी के मौसम की तैयारी

  • खरीफ में परती पड़ी भूमि की जुताई करें।
  • सरसोंअलसीचना एवं मसूर के बीज की व्यवस्था करें ताकि अक्टूबर में समय से खेत में नमी रहते बोनी की जा सके ।
  • रबी की फसलो में वीजोपचार के किए कार्बम्सिन +थायरम की पूर्वमिश्रित दवा की 3  ग्राम मात्रा से प्रति किग्रा बीज  को उपचारित करें।
  • दीमक प्रभावित खेत में बीज का उपचार थायोमेथोम्साम 30 एफ.एस. की 10 मिली मात्रा या इमिडिम्लोपिड 48 एफ.एस. की 1.25 मिली मात्रा प्रति किग्रा. बीज उपचारित कर बुवाई करें।
  • चने में फलीवेधक कीट से बचाव के लिए चने और धनिया की वुवाई 4:2 के अनुपात में करें।

रबी के मौसम की तैयारी देखते हुये ज़िले के किसानों को उपयुक्त प्रजातियों की अनुशंसा की जाती है-

फसल का नाम    

उन्नतशील प्रजातियाँ

बीजदर/एकड़

अवधि

बोनी के समय खाद की मात्रा /एकड

बोनी का समय

अलसी

जे.एल.एस.23/जे.एस.एल.73 जे एल.एस 27, जे.एल.एस 67, जे.एल.एस 79

08 -10 किग्रा

115 -120 दिन

15 किलो यूरिया एवं 35 किलो डीएपी 20 किलो म्युरेट पोटाश

20 अक्टूबर से नवंबर के प्रथम सप्ताह तक

मटर

(हरी फली हेतु)

पी. एस.एम. ३पी. एस.एम. ५पी 3,आजादपी 1

30 किग्रा.

50.-90 दिन

50 किलो डीएपी एवं 30 किलो म्युरेट आँफ पेाटाश

30 अक्टूबर तक

मसूर

जे. एल.1, जे.एल3, आईपी. एल. 316,   आईपी. एल.   8

15  किग्रा.

90 दिन

40 किलो डीएपी एवं 20 किलों म्युरंट आफ पोटाश

20 अक्टूबर से 10 नवंम्बर

चना

जे. जी.130, जे.जी 11 ,      जे. जी.36, जे.जी.12, जे.जी,16, जे.जी.24,  आर वी जी 202, आर वी जी 203

25-30 किग्रा.

100-110 दिन

50 किलो डीएपी एवं 20 किलो म्युरेट आँफ पोटाश

20 अक्टूबर से 10 नवंम्बर

सरसों

पूसा मस्टर्ड 27,  आर जी एन 73,  एच बी 101,  एच बी 506,  पीएम 29,  पीएम 30, गिर राज, aar. Eh. 749 r h 725

2-3 किग्रा.

110-120 दिन

80 किलो जिप्सम,  50 किलो डीएपी एवं 20 किलो म्युरेट आँफ पोटाश

20 अक्टूबर से 10 नवंम्बर

गेहूँ असिंचित 

एच.आई.1500, जे डब्ल्यू.17,  जे. डब्लू. एच डब्ल्यू. 2004, जे. डब्ल्यू 3211, जे. डब्ल्यू 3288,    

40 किग्रा.                         

120  दिन

40 किलो डीएपी, 20 किलो यूरिया, 20 किलो म्युरट आँफ पोटाश

15 नवंम्बर से 25 नवंम्बर

गेहूँ अर्द्धसिंचित

जे . डब्ल्यू. 3173,  जे.डब्ल्यू.17,  जे. डब्ल्यू 3211,    

40

120- 125

40 किलो डीएपी, 20 किलो यूरिया, 30 किलो म्युरेट आँफ पोटाश

15 नवंम्बर से 25 नवंम्बर

गेहूँ सिंचित

जे.डब्ल्यू 322, लोक 1 ,

एच. आई,1544, 

40 किग्रा.

120 दिन

50 किलेा डीएपी, 25 किलो यूरिया, 30 किलेा म्युरेट आँफ पेाटाश

15 नवंम्बर से 25 नवंम्बर

गेहूँ (देरी से बोनी हेतु)

एच.डी. 2864,एम.पी.1203 एम. पी.4010                       

50

120

50 किलो डीएपी, 25 किलो यूरिया, 30 किलो म्युरेट आँफ पोटाश्

25 नवंम्बर से 15 दिसंबर

कठिया गेहूँ

एच. आई. 8713

एच. आई 8759

50

120

50 किलेा डीएपी, 25 किलो यूरिया, 30 किलेा म्युरेट आँफ पेाटाश

15 नवंम्बर से 25 नवंम्बर